बंगाली: समय: इतिहास के रूपक - रोमिला थापर
रोमिला थापर, इतिहास की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम, ने "समय: इतिहास के रूपक" के माध्यम से इतिहास को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्रदान किया है। यह पुस्तक न केवल समय और इतिहास के परस्पर संबंधों की गहराई में जाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समय कैसे विभिन्न समाजों और संस्कृतियों में समझा और प्रस्तुत किया जाता है।
थापर ने समय के रूपकों के माध्यम से यह दिखाया है कि हर युग और सभ्यता ने समय को अपने तरीके से परिभाषित किया है। प्राचीन भारत के वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक, समय की अवधारणा में विविधता और परिवर्तन देखने को मिलता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि समय का रूपक न केवल अतीत को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी निर्धारित करता है कि वर्तमान और भविष्य को कैसे देखा जाएगा।
पुस्तक में रोमिला थापर की शैली सरल और बोधगम्य है, जिससे यह न केवल विद्वानों बल्कि आम पाठकों के लिए भी आकर्षक बनती है। समय को इतिहास का केंद्रीय तत्व मानते हुए, उन्होंने यह दिखाया है कि अतीत की समझ वर्तमान को समृद्ध बना सकती है।
বাংলা: সময়: ইতিহাসের রূপক - রোমিলা থাপার
রোমিলা থাপার, ইতিহাসের বিশিষ্ট ব্যক্তিত্ব, তাঁর গ্রন্থ "সময়: ইতিহাসের রূপক"-এ ইতিহাসকে এক নতুন দৃষ্টিভঙ্গিতে বিশ্লেষণ করেছেন। এই বই সময় এবং ইতিহাসের সম্পর্কের গভীরতাকে প্রকাশ করে এবং দেখায় যে সময় কিভাবে বিভিন্ন সমাজ ও সংস্কৃতিতে বোঝা হয়।
থাপার দেখিয়েছেন যে প্রতিটি সভ্যতা সময়কে তাদের নিজস্ব দৃষ্টিভঙ্গিতে দেখেছে। প্রাচীন ভারতীয় বৈদিক যুগ থেকে আধুনিক সময় পর্যন্ত, সময়ের ধারণা বহু পরিবর্তনের মধ্য দিয়ে গিয়েছে। সময়ের রূপক শুধুমাত্র অতীত বোঝার মাধ্যম নয়, বর্তমান ও ভবিষ্যৎকে দেখার পথও নির্দেশ করে।
বইটি রোমিলা থাপারের সহজ ও স্পষ্ট ভাষায় লেখা, যা কেবলমাত্র পণ্ডিতদের জন্য নয়, সাধারণ পাঠকদের জন্যও আকর্ষণীয়। সময়কে ইতিহাসের কেন্দ্রীয় বিষয় হিসেবে ধরে, তিনি প্রমাণ করেছেন যে অতীতের গভীরতর বোঝাপড়া বর্তমানকে সমৃদ্ধ করতে পারে।
এই বই সময়ের ধারণাকে ঐতিহাসিক বিশ্লেষণের মাধ্যমে আমাদের সামনে নতুনভাবে উপস্থাপন করে।